आईना
आइना मुझको मेरी औकात बताता है
कुछ इस तरह से हर रोज़ सताता है ।
जब कभी भी सामने गया हूँ मैं उसके
उम्र ढल जाने का एहसास कराता है ।
लाख कर लूँ जतन खुश रहने की मैं
हाल-ए- मुल्क मेरा मुझको रुलाता है ।
मसअले मुझसे बेहद मुतमईन हैं रहते
और चैनो अमन दूर से ही मुस्कुराता है ।
ज़िंदगी की अदाएं भी कमाल है यारों
मर के है जिंदा,कोई ज़िंदा मर जाता है ।
-अजय प्रसाद