आइनों
आइनों
तुमने तो
ज़रुर सहेज
कर रक्खा होगा
मेरे उम्र के हर
एक पड़ाव को।
रोज़
तुम्हें देख्र कर ही
तो मैंने खुद को
सँवारा है ज़िंदगी में।
-अजय प्रसाद
आइनों
तुमने तो
ज़रुर सहेज
कर रक्खा होगा
मेरे उम्र के हर
एक पड़ाव को।
रोज़
तुम्हें देख्र कर ही
तो मैंने खुद को
सँवारा है ज़िंदगी में।
-अजय प्रसाद