आइना
आइना भी अब मुझसे पहचान मांगता है,
चेहरे पर पहले सा ईमान मांगता है,
बेशक़ रहे हम उम्र भर सफर में,
रास्ता क़दमों के निशान मांगता है,
बाहर का रास्ता दिखाया दरवाज़े ने,
आँगन मुझसे मकान मांगता है,
काम ना आये हम खिदमत के,
वतन तज़ुर्बेकार नौजवान मांगता है,
इश्क़ अज़ब इम्तिहान मांगता है,
महबूब भी अब बेज़ुबान मांगता है,
हर कोई मुकम्मल जहान मांगता है,
‘दक्ष’ कि ज़ज़्बा-ए-इंसान मांगता है,
-विकास शर्मा ‘दक्ष’-