आइना खुद को दिखाना आ गया
आइना खुद को दिखाना आ गया
राब्ता सच से निभाना आ गया
जब से हम करने लगे हैं शायरी
दर्द की महफ़िल सजाना आ गया
आसमानी सोच उसकी हो गई
चार पैसे क्या कमाना आ गया
ज़िन्दगी में यूँ हुए मशरूफ़ हम
हाथ पर सरसों उगाना आ गया
हुस्न की दौलत वो जब से पा गए
तहलका उनको मचाना आ गया
ठोकरें खाकर वफ़ा की राह में
चोट पर मरहम लगाना आ गया
माही
जयपुर, राजस्थान