आंसू
आंसू
हृदय की घनीभूत पीड़ा का, अद्भुत अहसास हैं आंसू।
बीती कटु और मधुर स्मृतियां लाते पास हैं आंसू।
करुण कलित असहनीय विरह का विकल राग हैं आंसू।
प्रिय की चाह में अनंत असीम वेदना की लाग हैं आंसू।
होकर आकुल व्याकुल विहल्ल बहुत बिलखते हैं आंसू।
रो रोकर सिसक सिसककर,बेकल राह तकते हैं आंसू।
निकलकर चुपचाप आंखों से झरने सम बहतें हैं आंसू।
मौन हो ये झरते मोतियों की तरह,पर कुछ नहीं कहते आंसू।
निकाल देते दिल में छिपे अवसाद को हैं ये आंसू।
बोझिल दिल को हरपल करते हैं हल्का ये आंसू।
नीलम शर्मा