आंसू
आंसू
कभी बड़े आघात भी —
हुम् झेल जाते है ,
कभी जरा सी बात पर–
भर आते हैं आंसू।
क्या हुआ, बस इतना सा —
पूछ लेने पर ,
झर झर झड़ी लगती–
रुकते नहीं आंसू ।
बेसबब होता नहीं–
इनका निकल जाना,
गंगा स्नान मन को–
कराते हैं ये आंसू।
आंसू इंसानियत का–
वो सच्चा प्रतीक हैं,
दूजों के दर्द से सदा–
मिलवाते है आंसू।
औरों के आंसू देख–
उमड़ते हैं भीतर से,
दुखता है कलेजा की,
च्छुत हे है ये आंसू।।