आंधी
चिड़ियों के चहक में आज कोलाहल था शोर था
उत्तर के पुरे आसमान में काले बादल का जोर था
पेड़ अभी तक शांत खड़े थे धूल की न कोई रैली थी
सूरज अब तक ढला नहीं था न तो अंधियारी फैली थी
हवा थमी फिर सूरज चमका गर्मी थोड़ी और बढ़ी
काले बादलो की एक टोली आसमान में और चढ़ी
एक तरफ थे काले बादल एक तरफ उजियरा था
तभी कहीं पर चमकी बिजली बारिश का इशारा था
बच्चे छत पर खड़े हुए थे बारिश की अभिलाषा में
बादल भी कुछ बता रहे थे टेढ़ी मेढ़ी भाषा में
तभी हवाएं तेज़ हो गयी धूल को अपने साथ लिए
बच्चे छत से दौरे घर तक कपडे सारे साथ लिए
बस कुछ क्षण के लिए यहां पर मौसम बड़ा सुहाना था
किसे पता था अभी यहां पर को चक्रवात को आना था
काले काले बादलों ने फिर आसमान को घेर लिया
धूल भरी हवाओं ने फिर बिन कहे जंग सा छेड़ दिया
बिजली कड़की आंधी आयी पानी की बौछारे भी
बह गए सारे किट पतंगे भर गए सारे नाले भी
पेड़ पे रहने वाले सारे चिड़ियों ने हाहाकार किया
खिड़की और दरवाज़ों ने मिलकर खुद को तैयार किया
छत उड़ गयी कही किसी की बिजली के कहीं तार गिरे
पेड़ टूट कर गिरे कहीं पर प्राणी कई हजार मरे
छोटे छोटे चिडियो के घोसले भी थे बिखर गए
बरगद के भी पेड़ कही पर पूरी तरह थे उखड गए
बिजली गिरी फिर एक मकान में दो लोगो को निगल गयी
लोहे की एक छड़ी परी थी मोम के जैसे पिघल गयी
फसले पूरी खाक हो गयी यहाँ वहाँ सब बिखर गयी
पुरे खेत की मिटटी तक भी जहाँ तहाँ थी पसर गयी
देख कर ऐसे महा भयंकर चक्रवात के रूप को
खड़े हुए सब हाथ को जोड़े प्रकृति के स्वरुप को
बहुत ज्ञान है पास हमारे अपने दंभ हजार है
पर प्रकृति की क्रोध के आगे मनुष्य बड़ा लाचार है