आंधियों में गुलशन पे ,जुल्मतों का साया है ,
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आंधियों में गुलशन पे ,जुल्मतों का साया है ,
फूल – फूल पर देखो , अब गुबार छाया है ,
एतबार होता भी अब नहीं मुहब्बत पर ,
उसको इस जहां ने शायद ,बहुत सताया हैं ।
✍️ नील रूहानी…
आंधियों में गुलशन पे ,जुल्मतों का साया है ,
फूल – फूल पर देखो , अब गुबार छाया है ,
एतबार होता भी अब नहीं मुहब्बत पर ,
उसको इस जहां ने शायद ,बहुत सताया हैं ।
✍️ नील रूहानी…