आंदोलन ! जो जूड़ गया जीवन में!!
बांदल नदी पर,
इस बार,
खनन नहीं,
अपितु,
हो रहा था,
बाढ़ सुरक्षा कार्य,
मांग की गई थी,
जिसकी,
अनेकों बार,
खुश थे हम,
सुरक्षा के भाव से,
बच जाएंगे,
हमारे,
घर,
दुकान,
खेत,
खलिहान,
लेकिन,
यह देख कर,
झटका लगा,
काम की गुणवत्ता पर,
ध्यान नहीं दिया गया,
ना तो मानकों के हिसाब से,
बुनियाद,बनाई जा रही थी,
ना ही उसमें,
मात्रा के अनुरूप,
सीमेंट मिलाई जा रही थी,
यहां तक लापरवाही,
हो रही थी,
बजरी की जगह,
रेत मिट्टी लग रही थी।
अब हमने इसका संज्ञान कराया,
ठेकेदारों ने ध्यान ना धराया,
अपने कार्य को,
शीघ्र निपटाने को,
वह सुबह सबेरे,
जुट जाते थे,
और रात अंधेरे तक,
काम निपटाते थे।
अब हमने काम रुकवा दिया,
विभाग के अधिकारियों को,
संदेश भिजवा दिया,
वह तो नहीं आए,
लेकिन ठेकेदार जरुर आए,
आकर धौंस जमाने लगे,
अपना डर दिखाने लगे,
हम भी टस से मस नहीं हुए,
और अधिकारियों से बात करेंगे,
यह कह कर उन्हें अनसुना करने लगे।
थक हार कर के आखिर,
अधिकारियों को बुलाया गया,
गांव वाले मान नहीं रहे हैं,
उन्हें यह समझाया गया,
अधिकारियों ने भी आकर,
रौब अपना दिखाना शुरु किया,
मुकदमा दर्ज कराएंगे,
इसका हमें सकेंत किया,
सरकारी काम में बाधा,
ठीक नहीं है तुम्हारा इरादा,
हमने उन्हें, कार्य स्थल पर चलने को कहा,
वहां पर जाकर,
उन्हें वह कार्य दिखाया,
जो बिना बुनियाद के था बनाया,
फिर रेत मिट्टी का ढेर बताया,
मिक्स सामाग्री को दिखाया।
अब उन्हें अहसास हुआ,
ठेकेदारों को बुला कर कहा,
ऐसे काम नहीं चलेगा,
गुणवत्ता पर ध्यान देना पड़ेगा,
चलो काम शुरू करो,
हमसे कहने लगे,
अब आगे से ध्यान रखेंगे,
यदि गड़बड़ किया,
तो हमें फोन करना,
हम आकर काम रुकवा देंगे,
हर समस्या का समाधान करेंगे।
हमने कहा श्रीमान यह हमें स्वीकार नहीं,
इस काम को तोड कर,
बुनियाद खोद कर,
हमारे सामने,नीव पड़ेगी,
आगे काम की तब गति बढ़ेगी,
इस पर वह आना कानी करने लगे,
ठेकेदार का पक्ष रखने लगे,
हमने उन्हें, इंकार कर दिया,
खबर फैल गई थी तब तक आगे,
समाचार पत्र वाले,
वहां पर पहुंचने लगे,
अब अधिकारी ,
खिसकने लगे,
गांव वालों ने उन्हें,
रोक दिया,
संवाददाताओं के सम्मुख किया,
रिपोर्टर ने सवाल किया,
यह क्या हो रहा,
हमने उन्हें हालात दिखाए,
वह फोटो सूट करने लगे,
अधिकारियों के पसीने छूटने लगे,
अधिकारियों से पूछा,
ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करेंगे,
इस तरह के काम से तो,
यह लोग जरुर बहेंगे।
अधिकारियों ने अपनी खाल बचाई,
ठेकेदार को कहा इसे तोड़ो भाई,
नये सिरे से बुनियाद बनाओ,
फिर गांव वालों को दिखाओ,
सीमेंट रोडी बजरी,
मात्रा में मिलाओ,
आज से एक सुपर वाइजर,
यहां पर रहेगा,
जूनियर इंजीनियर हर रोज,
आकर काम पर नजर रखेगा।
काम को तुड़वा कर फिर से शुरु कराया,
सुपर वाइजर को लेकर,
सामाग्री को मिक्सचर पर बनवाया,
अपने गांव से एक देखरेख के लिए,नियुक्त किया,
स्वयं भी अपना भ्रमण किया,
तब जाकर काम में सुधार हुआ।
फिर भी नजर बचाकर ,
कुछ तो गडबड किया,
क्योंकि, को
कई, कई, स्थानों पर दिवारें ढह गई थी,
जब बाढ़ की गति तेज हुई थी,
जो जहां टूटा, फिर बनाया ना जा सका,
किसी तरह से रोक थाम के नाम पर,
तार जाल बिछाकर, हमें टरकाया गया,
आज भी हम उसके पुनर निर्माण की,
प्रत्याशा में आंखें लगाए हुए हैं
आंदोलन से हम कहां बच पाए हैं।
(यादों के झरोखे से)