आंखो ने क्या नहीं देखा …🙏
आंखो ने क्या नहीं देखा …
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ममता मई माता की
ममता को नमन करना
इनसे ही तन दृष्टि सांस
स्वाद स्पर्श श्रवण काया
रतनधन पाकर जग देखा
प्यार करुणा ममता
मनोहर प्रेम को रौंधते
आस्था विश्वास मरते
मूरत सूरत दिखाने के
पुजारी को रिश्वत लेते
देते पैसे का मोल देखा
बिन पैसे मूरत देखने
गिरते संभलते धक्का
मुक्का खाते आगे पीछे
हो भावों से दर्शन करते
पैसे को भाव विहीन आगे
बढ़ते ही जाते आते देखा
बलशाली बलहीनों से
गरीबों के आशियाने को
हड़पते तड़पते तेज चीखाते
रंगमहल भस्मासुरों को देखा
उग्रवादी हिंसक भ्रष्टाचारी
रिश्वतखोरों का जयकार
भारत मां के गद्दारों को
सिंहासन बैठ क्रूरता करते
मनोहर प्यार की दरिंदगी
इजहार इकरार तकरार
प्रेम को टुकड़े टुकड़े होते
जीवन का भीख मांगते
पूजा की थाली में कंकड़
पत्थर मान का अपमान
फूल माला से बम फटते
घुसपैठियों के नव तरकीब
निज जनों से स्वदेश लूटते
भारत मां के गद्दारों को देखा
भारत विश्व राह को खुलते
आस पास के लिए खिड़की
दरवाजे बन्द होते देखा
खाना यहां अभद्र गाना वहां
खाली पेट भूखों से मरते
जमाखोरों की पेटी भरते
जंजीरों में सड़ दम तोड़ते
मां की ममता को क्षण
मौत घाट उतारते देखा
सुहागिन सुहाग के भस्म
धर्म बदलते मारते देखा
अंतरिक्ष में मानव साथ
जानवरों को उतरते देखा
जन गण मन तिरंगा को
अपमानित कर स्वाभिमान
को दम तोड मरते देखा
पहाड़ पत्थर ग्लेशियर टूटते
क्रोध रौद्र समंदर की उफान
तरंग तूफान को नगर शहर
अशियाने को छीनते देखा
पर जन धर्म कत्तर्व्य दायित्व
जबाव देह निज दहलीज़ पर
दम तोड़ काल गाल में समाते
क्षितिज जल पावक गगन
समीरा पंचतंत्र समझते नहीं
पर्यावरण दूषित करते मस्ती में
रेपर पोलीथीन बोतल डिब्बे
सड़े गले कूड़ा कर्कट को यहां
वहां जहां तहां फेकते चुनते
पर समग्र के मनोभावों की
समग्रता जागरुकता नही देखा
हे ज्ञानी ! वाणी के मर्म को
समझ संरक्षण प्रबंधन योजना
हृदयी साथ से सुरक्षित कर
अतीत वर्तमान भविष्य बचा
कल को संरक्षित धरा को
वापस लौटा गौरवान्वित हो
जीवन निज आखों से देखो
आंखो को सत्य अहिंसा धर्म
दिखा एक दिन आंखे बंद कर
स्वर्गीय पर्यावरण आंखे खोल
देख कर आखों पर गर्व कर
कहो दृष्टि ने क्या नहीं देखा
भारत के बदलते तस्वीर
विकास परिवर्तन टेक्नोलॉजी
आकाश पाताल में वर्चस्व
भारत भारती का भविष्य देखा
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तारकेश्वर प्रसाद तरुण