आंखो के सपने और ख्वाब
आंखो के सपने,दिलो के ख्वाब ढूंढ रहा हूं
तेरे संजोए सपनो के जवाब ढूंढ रहा हूं
समय रूपी अंधेरा जो छाया है इन दिनों
बस उसी के लिए चिराग ढूंढ रहा हूं।
लोग ढूंढ रहे है स्वार्थ, लालच रिश्तों में
मै सिर्फ प्रेम और विश्वास ढूंढ रहा हूं।
Akash RC Sharma ✍️ ©️