Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Oct 2023 · 1 min read

आंखों को मल गए

ऐसी थी बेख़्याली,
कि आँखों को मल गए ।
हक़ीक़त की आंच से,
सब ख़्वाब जल गए ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
8 Likes · 393 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
You may also like:
"खाली हाथ"
इंजी. संजय श्रीवास्तव
4251.💐 *पूर्णिका* 💐
4251.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
2122 1212 22/112
2122 1212 22/112
SZUBAIR KHAN KHAN
मन
मन
मनोज कर्ण
बॉर्डर पर जवान खड़ा है।
बॉर्डर पर जवान खड़ा है।
Kuldeep mishra (KD)
प्रभु -कृपा
प्रभु -कृपा
Dr. Upasana Pandey
अध्यापिका
अध्यापिका
Shashi Mahajan
और मौन कहीं खो जाता है
और मौन कहीं खो जाता है
Atul "Krishn"
जीवन की बगिया में
जीवन की बगिया में
Seema gupta,Alwar
कुछ
कुछ
Shweta Soni
हो जाएँ नसीब बाहें
हो जाएँ नसीब बाहें
सिद्धार्थ गोरखपुरी
वो दिल लगाकर मौहब्बत में अकेला छोड़ गये ।
वो दिल लगाकर मौहब्बत में अकेला छोड़ गये ।
Phool gufran
वसंत पंचमी की शुभकामनाएं ।
वसंत पंचमी की शुभकामनाएं ।
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
भीगी पलकें...
भीगी पलकें...
Naushaba Suriya
" रास्ता उजालों का "
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
सावन
सावन
Bodhisatva kastooriya
ज़िंदगी हो
ज़िंदगी हो
Dr fauzia Naseem shad
"त्याग की देवी-कोशी"
Dr. Kishan tandon kranti
"हम बड़ा तो हम बड़ा"
Ajit Kumar "Karn"
संवेदना कहाँ लुप्त हुयी..
संवेदना कहाँ लुप्त हुयी..
Ritu Asooja
*बहती हुई नदी का पानी, क्षण-भर कब रुक पाया है (हिंदी गजल)*
*बहती हुई नदी का पानी, क्षण-भर कब रुक पाया है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
क्या कहें,देश को क्या हो गया है
क्या कहें,देश को क्या हो गया है
Keshav kishor Kumar
कोई चाहे कितना भी सुंदर क्यों न हो,
कोई चाहे कितना भी सुंदर क्यों न हो,
पूर्वार्थ
🙅आज की बात🙅
🙅आज की बात🙅
*प्रणय*
अपूर्ण नींद और किसी भी मादक वस्तु का नशा दोनों ही शरीर को अन
अपूर्ण नींद और किसी भी मादक वस्तु का नशा दोनों ही शरीर को अन
Rj Anand Prajapati
एक बूढ़ा बरगद ही अकेला रहा गया है सफ़र में,
एक बूढ़ा बरगद ही अकेला रहा गया है सफ़र में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
राम - दीपक नीलपदम्
राम - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
एक सूरज अस्त हो रहा है, उस सुदूर क्षितिज की बाहों में,
एक सूरज अस्त हो रहा है, उस सुदूर क्षितिज की बाहों में,
Manisha Manjari
बड़ी कथाएँ ( लघुकथा संग्रह) समीक्षा
बड़ी कथाएँ ( लघुकथा संग्रह) समीक्षा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Top nhà cái uy tín luôn đảm bảo an toàn, bảo mật thông tin n
Top nhà cái uy tín luôn đảm bảo an toàn, bảo mật thông tin n
Topnhacai
Loading...