आंखों के मायाजाल से
अपनी प्यार भरी आंखों के
मायाजाल से बांध लेती हो
तुम मुझे दगा पर दगा देती हो
दिल लगाने की सजा देती हो
खुद से दूर करके मुझे
अपने पास बुला लेती हो
तुम दूर हो
तब भी कभी भूलती नहीं तुम्हारी
वह दो सूरज और चांद सी चमकती हुई आंखें
दिन में तुम मुझे सूरज की
तपिश तो
रात को मेरे सिरहाने बैठकर
मुझे चांद की ठंडी शीतलता
देती हो।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001