आंखों की भाषा
“आंखों की भाषा”
वो पूछते हैं कि क्या आंखों से प्यार का इजहार किया जाता है,
बेशक सच्ची मोहब्बत का तो ऐसे ही इकरार किया जाता है।
नजरें टकराती है जब जब दो जवां दिलों के प्यार में,
यही तो वो वक्त होता है जब दिल हामी भरता है इकरार में।
दिमाग से यूं सोचना छोड़कर बात दिल की मान कर तो देखो,
लब्जों की जरूरत नहीं आंखों से जज़्बात बयां करके तो देखो।
इश्क का इजहार जुबां से करना मुश्किल होता होगा,
वो इश्क भी क्या जो महबूब की आंखों को न समझता होगा।
इजहारे मोहब्बत तो आंखों आंखों में ही हो जाता है,
और लोग कहते हैं इजहार करने में वक्त लग जाता है।
गर हो सच्ची मोहब्बत किसी के लिए आपके दिल में,
चला दीजिए नजरों के तीर जा लगे जो मंजिल में।
जुबां की क्या जरूरत नियत अगर नेक और इरादे हो मजबूत से,
बेफिक्र होकर कह दो आंखों से दिल की बात अपने महबूब से।
उठती होगी चाहत की आवाज तुम्हारे लिए भी उसके दिल से,
भूलकर जमाने की बंदिशें सारी लग जायेगी तुम्हारे सीने से।।
✍️ मुकेश कुमार सोनकर, रायपुर छत्तीसगढ़