आंखों की चमक ऐसी, बिजली सी चमकने दो।
गज़ल
221/1222/221/1222
आंखों की चमक ऐसी, बिजली सी चमकने दो।
जुल्फों के घने बादल, अब खुल के बरसने दो।
जीवन का सबक यारो, ये याद रखो हरदम,
गिरता जो सॅंभलता है, गिरने दो सॅंभलने दो।
गम का है अगर साया, खुशियां भी तुम्हारी हैं,
ये रात न ठहरेगी, सूरज तो निकलने दो।
दुनियां में भरी दौलत, मुख्तार नहीं कोई,
अधिकार सभी का है, सबको ही बरतने दो।
है प्रेम नगर दुनियां, इतना तो करो प्रेमी,
हर एक गली में अब, बस प्यार बिखरने दो।
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी