आंखों की गुस्ताखियां
कानों से सुनते है सभी
आंखों से देखते है
जो दिलवाले होते है
वो आंखों की ही सुनते है।।
कानों से जो सुनते है
उसे दिमाग तोलता है
आंखों से जो सुनते है
उसे दिल समझता है ।।
कान तो सिर्फ आवाज़ सुनते है
आंखें तो अनकही समझ लेती है
क्या राज़ छुपा है दिल में वो भी
चेहरा देखकर पढ़ लेती है ।।
आंखें गुस्ताखियां करती है
दिलों को मिलाने की
जुदा होने पर दिलों के
वो आंसू भी तो बहाती है ।।
कभी कभी ये चंचल आंखें
आंखों के चक्कर में फसाती है
देखकर नशीली आंखों को
उनमें ही खो जाती है ।।
दिलों में प्यार हो जाता है
जब आंखों से आंखें मिलती है
सूखे में भी बहार दिखती है
जब दिलबर से आंखें मिलती है
नींद में हो जब आंखें
तो सपने दिखाती है
जब बंद हो जाती है आंखें
तो अपनों को रुलाती है ।।