आंखों का काजल
-आंखों का काजल
बचपन में,
आंखों का काजल लगा मां हमें
उसी से कान के पीछे काला टीका छाप
दुनिया की नज़र से बचा देती ।
नेह पूरित वहीं आंखों का काजल
हमें चांद सा प्यारा बना देता।
आंखों का काजल जादू सा असर करता,
सभी की नज़र में आता दूर से ही
हमारे आने खबर करता।
समय गुजरता शनै शनै
बच्चे से जब बड़े हुए
आँखों का काजल कुछ ऐसा लगता है
अंधियारे दिल में उजाला करता है।
चमकता काजल कुछ ऐसे
दीवानें दिल पर वार करता है।
कजरारी आंखों का जादू फिर
शान्त गगन में चमकता अफताब लगता है।
लगा कर आंखों में काजल चाल चलती
मृगनयनी शेरनी सी सीधा वार करती है।
सीधे सादे चेहरे पर आंखों का काजल
सुंदरता पर चार चांद लगा देता।
बोलती आंखें,मुस्कान भीनी-भीनी सी मेरी
कायनात में खुशबू बिखेर देता,
वहीं आंखों का काजल ,,,,
पिया हाए में प्रेम रस भरता।
आंखों का काजल सच में जादुई असर करता।
-सीमा गुप्ता,अलवर राजस्थान