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9 Apr 2021 · 1 min read

आंखें

2122….1212….22(112)
राज कुछ खोलती दिखी आँखें!
बोलती कुछ तो हैं झुकी आँखें!

बोलते सच ….तो् ये चमकती हैं,
झूठ बोला तो् झुक …गई आँखें!

दिल पे मारा है् जिसने् तीरे नजर,
वो ख़तावार है ……..ते्री आँखें!

ढूढती हैं तुझे ही् ……..दुनियां में,
मिल, तलबग़ार हैं ….मेरी आँखें!

एक तू, तुझपे …अनगिनत नज़रें,
बच न पायेंगी् …..सुरमई आँखें!

मर गया अब तो आँख का पानी,
जिंदा रह के भी् …मर गई आँखें!

हर नजर खोजती ….जिन्हें ‘प्रेमी’
मिल गईं फिर वही …हॅंसी आँखें!

…… ✍ सत्य कुमार ‘प्रेमी’

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