आंखें नम हैं।
तुम रहो साथ मेरे तो मुझको क्या ग़म है,
है दिल परेशान तेरा साथ इतना क्यूं कम है।
वक़्त वक़्त की बात है हां मुझको पता है,
फिर भी तुम्हारे दूर होने से ये आंखे क्यूं नम है।।
कभी तो ना कहा हमने की इम्तहान दो?
है इश्क तो इश्क करो ना कोई प्रमाण दो,
बस इतनी आरज़ू थी कि समझ सकते हमको,
समझ के इस फेर को ना दगा का नाम दो।।
लोगो से पूछ के फैसला जो मेरा किया!
चलो भी, जो भी किया अच्छा ही किया।
खुश रहना हो सकती है जरूरत तेरी!
छोड़ सब इश्क़ के कसीदे और मोहब्बत मेरी!
जा झूल जा किसी और कि बाहों में क्या ग़म है,
बस ख्याल रहे कोई पूछ ना पाए क्यूं आंखे नम है।।