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9 Apr 2017 · 1 min read

आंँखो ने जीना सिख लिया

आँखों ने जीना सीख लिया है अब नम रहकर.
डायरी मैं जिंदा गुलाब आज भी बेदम रहकर.

हमारी मोहब्बत में बेकदरी नज़र आयी उनको.
जिनसे हमने कभी बात ना की तुम कहकर.

जाते ही हो तो जाओ मेरा कत्तल करके.
जी कर भी क्या करेंगें तन्हाई में हम रहकर.

अपनी रूह निकाल कर रखता हूँ इन पन्नों पर.
कलम की नोक भी लिखने से रोकती है सितम कहकर.

लोगो ने पूछा है इस प्यार के नाम को.
हम चिल्लाते रहते हैं इसे नज़्म कहकर.

आप ज़िंदगी को जीना अपनी खुशी में.
हमें तो विदा हो जाना है दूरियों का ग़म सहकर.

Language: Hindi
460 Views
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