आँसू
आँसू अपने रोक तू आये ना सैलाब,
बह जायेंगीं भावना डूबेंगे अनुभाव।
डूबेंगे अनुभाव न बचेंगीं संवेदना,
विरला होगा विकल किसी की देख वेदना।
न कोई होय करुण न कोई होय रुआँसू,
सभी यहाँ बेपीर रोक तू अपने आँसू।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
आँसू अपने रोक तू आये ना सैलाब,
बह जायेंगीं भावना डूबेंगे अनुभाव।
डूबेंगे अनुभाव न बचेंगीं संवेदना,
विरला होगा विकल किसी की देख वेदना।
न कोई होय करुण न कोई होय रुआँसू,
सभी यहाँ बेपीर रोक तू अपने आँसू।
जयन्ती प्रसाद शर्मा