आँसुओं से भीगा सा रुमाल हैं
आँसुओं से भीगा सा रुमाल है
***********************
आइए आपका इस्तेकबाल है
आपके आने से मचा बवाल है
लोगों के लटके चेहरे बता रहे
आगमन पर उठ रहें सवाल हैं
दिल तो है उमंग तरंगों से भरा
माथे पे क्यों फिक्र का जाल है
देखकर तुम्हें आँखें चमक गई
गोरे गोरे गालों का रंग लाल है
वर्षों का इंतजार है खत्म हुआ
यौवन बीत जाने का मलाल है
बेचैनियों से जिंदगी बुझी बुझी
खुशियों भरा आंगन निहाल है
तेरी बेरूखी का क्या जवाब दें
आँसुओं में भीगा सा रुमाल है
मनसीरत मनमीत को है तरसे
हरपल रहता उसका ख्याल है
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)