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2 Feb 2021 · 1 min read

आँसुओं ने ख़त लिखा

$$ ग़ज़ल $$

देख दिल पर ज़ख्म गहरा हसरतों ने ख़त लिखा ।
आज फिर मुझको मेरी तन्हाइयों ने ख़त लिखा ।

उम्र गुज़री तड़पती यूँ करवटों में रात भर ।
दर्द से हो रूबरू अंगड़ाइयों ने ख़त लिखा ।

दिन तो जैसे -तैसे गुजरा शाम की ख़्वाहिश लिए ।
रात भर आँखों से बहकर आंसुओं ने ख़त लिखा ।

आजकल यादों में चलती हैं तेरी किरदारियाँ ।
देखकर तस्वीर तेरी हरक़तों ने ख़त लिखा ।

दफ़्न है सीने में कितने खार ,खंज़र और ख़ुशबू ।
जिंदगी को लूटकर बर्बादियों ने ख़त लिखा ।

इश्क़ की इस आग़ में तो सिर्फ़ बचता है धुँआँ ।
ज़ख्म खाई रूह की परछाइयों ने ख़त लिखा ।

है जुबां पर नाम रकमिश हो रहे क्यों लफ़्ज़ चुप ।
दिल के कागज़ पे तेरी ख़ामोशियों ने ख़त लिखा ।

– रकमिश सुल्तानपुरी

6 Likes · 48 Comments · 565 Views

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