Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jul 2024 · 1 min read

आँलम्पिक खेल…… भारतीय टीम

शीर्षक – आँलम्पिक खेल
*********************
हम भारतीय हौसला रखते हैं।
आँलम्पिक खेलों में नाम करते हैं।
जिंदगी और जीवन में लक्ष्य रखते हैं।
देश और देशवासियों का सम्मान करते हैं।
पदक मैडल नाम हम खेल से लाते हैं।
आँलम्पिक में विदेशी जमीं पर साहस दिखाते हैं।
हम सभी इंसान अपने जीवन में होते हैं।
अहम और वहम हम मन भावों में रखते हैं।
खेल-संसार में आँलम्पिक का सहयोग होता हैं।
जय और विजय सब हमारी लग्न होती हैं।
गोल्ड सिल्वर और कांस्य पदक हम पाते हैं।
आंँलम्पिक में पदक हमारी मेहनत होती हैं।
आओ पदक जीत कर भारत देश बताते हैं।
हम भारतीय आँलम्पिक में नाम बढ़ाते हैं।
***********************
नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

Language: Hindi
1 Like · 113 Views

You may also like these posts

सम्प्रेषण
सम्प्रेषण
Khajan Singh Nain
ज़ख़्म ही देकर जाते हो।
ज़ख़्म ही देकर जाते हो।
Taj Mohammad
#लघुकथा-
#लघुकथा-
*प्रणय*
मैं तो हमेशा बस मुस्कुरा के चलता हूॅ॑
मैं तो हमेशा बस मुस्कुरा के चलता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
🌹🌹🌹शुभ दिवाली🌹🌹🌹
🌹🌹🌹शुभ दिवाली🌹🌹🌹
umesh mehra
रिश्ता चाहे जो भी हो,
रिश्ता चाहे जो भी हो,
शेखर सिंह
मेरे देश की मिट्टी
मेरे देश की मिट्टी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
तू
तू
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
हर रात रंगीन बसर करने का शौक़ है उसे,
हर रात रंगीन बसर करने का शौक़ है उसे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*सार्थक दीपावली*
*सार्थक दीपावली*
ABHA PANDEY
नर जीवन
नर जीवन
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
I love you
I love you
Otteri Selvakumar
शीर्षक -पिता दिये की बाती हैं!
शीर्षक -पिता दिये की बाती हैं!
Sushma Singh
सुनो
सुनो
पूर्वार्थ
मानवता
मानवता
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
नफ़रत ने जगह ले ली अब तो,
नफ़रत ने जगह ले ली अब तो,
श्याम सांवरा
*जन्मभूमि है रामलला की, त्रेता का नव काल है (मुक्तक)*
*जन्मभूमि है रामलला की, त्रेता का नव काल है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
मैं  ज़्यादा  बोलती  हूँ  तुम भड़क जाते हो !
मैं ज़्यादा बोलती हूँ तुम भड़क जाते हो !
Neelofar Khan
वो आरज़ू वो इशारे कहाॅं समझते हैं
वो आरज़ू वो इशारे कहाॅं समझते हैं
Monika Arora
हँसता दिखना दर्द छुपाना हां मैं तुमसे -विजय कुमार पाण्डेय
हँसता दिखना दर्द छुपाना हां मैं तुमसे -विजय कुमार पाण्डेय
Vijay kumar Pandey
जीवन का जीवन
जीवन का जीवन
Dr fauzia Naseem shad
शिक्षक हमारे देश के
शिक्षक हमारे देश के
Bhaurao Mahant
సూర్య మాస రూపాలు
సూర్య మాస రూపాలు
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
जरूरत पड़ने पर बहाना और बुरे वक्त में ताना,
जरूरत पड़ने पर बहाना और बुरे वक्त में ताना,
Ranjeet kumar patre
प्रार्थना नहीं करूंगा मैं
प्रार्थना नहीं करूंगा मैं
Harinarayan Tanha
जीवन यात्रा ध्येय लक्ष्य पड़ाव
जीवन यात्रा ध्येय लक्ष्य पड़ाव
Nitin Kulkarni
हकीकत से रूबरू हो चुके हैं, अब कोई ख़्वाब सजाना नहीं है।
हकीकत से रूबरू हो चुके हैं, अब कोई ख़्वाब सजाना नहीं है।
अनिल "आदर्श"
मैं चाहता था  तुम्हें
मैं चाहता था तुम्हें
sushil sarna
2948.*पूर्णिका*
2948.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पुष्पों की यदि चाह हृदय में, कण्टक बोना उचित नहीं है।
पुष्पों की यदि चाह हृदय में, कण्टक बोना उचित नहीं है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
Loading...