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17 Nov 2018 · 1 min read

आँधियों को मोड़ देकर छोड़ दो

आदमी हो मुश्किलों को तोड़ दो
आँधियों को मोड़ देकर छोड़ दो

मुश्किलों का दौर है अब हर तरफ
ठोकरों से राह-ए-पर्वत तोड़ दो

सत्य का सम्बल तुम्हारे पास है
झूठ का आलम्बन लेना छोड़ दो

खुद को भी इंसानियत का दो सबक
कच्चे धागों में जमीं को जोड़ दो

होड़ में शामिल रहो तुम इस तरह
हांथ साथी का कभी ना छोड़ दो

इश्क में फिर से तुम्हारा दिल भरे
खूबसूरत मोड देकर छोड़ दो

इक “मुकां” योगी यहां पा जाएगा
फूल बिखरे कोई आके जोड़ दो

रचनाकार-कवि योगेन्द्र सिंह योगी
मोबाइल नंबर- 7607551907

1 Like · 526 Views
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