आँधियों को मोड़ देकर छोड़ दो
आदमी हो मुश्किलों को तोड़ दो
आँधियों को मोड़ देकर छोड़ दो
मुश्किलों का दौर है अब हर तरफ
ठोकरों से राह-ए-पर्वत तोड़ दो
सत्य का सम्बल तुम्हारे पास है
झूठ का आलम्बन लेना छोड़ दो
खुद को भी इंसानियत का दो सबक
कच्चे धागों में जमीं को जोड़ दो
होड़ में शामिल रहो तुम इस तरह
हांथ साथी का कभी ना छोड़ दो
इश्क में फिर से तुम्हारा दिल भरे
खूबसूरत मोड देकर छोड़ दो
इक “मुकां” योगी यहां पा जाएगा
फूल बिखरे कोई आके जोड़ दो
रचनाकार-कवि योगेन्द्र सिंह योगी
मोबाइल नंबर- 7607551907