आँधियाँ
जब चराग़ों ने डरना छोड़ दिया.,
आँधियों का ग़ुरूर तोड़ दिया.!
जिसको तिनका समझ रहे थे लोग.,
रुख़ हवाओं का उसने मोड़ दिया..!!
((( ख़ुमार देहल्वी )))
जब चराग़ों ने डरना छोड़ दिया.,
आँधियों का ग़ुरूर तोड़ दिया.!
जिसको तिनका समझ रहे थे लोग.,
रुख़ हवाओं का उसने मोड़ दिया..!!
((( ख़ुमार देहल्वी )))