आँचल की छाया
माँ जीती रही कितनी
स्वक्छन्द जिंदगी
बीस साल तक मैं
मौज ,मस्ती,नृत्य
संगीत,अभिनय
मेरे हर एक शौक को
किया गया पूरा
आपके माथे पर कभी
न आई शिकन
किया मैंने आपसे
रूखा व्यवहार
क्योकि सबके मुँह
से सूना चौथी लड़की
कल शाम को मैंने
दिलाया आपको याद
कि आज मेरा है जन्म दिन
आप को हुआ पाश्चाताप
नही रहा बेटी याद
माँ ये पत्र आपसे अपनी
गलतियों के लिये
जाने अनजाने दिल दुखाने
माफी मागने के लिए लिखा
माँ चाहे आप शुभकामनाये
देना भूल गयी पर
नही भली जन्म देना
प्यार करना तो नही भुली
घर बसाना तो नही भुली
आपकी शुकामनाये
जुड़ गयी थी
मेरे जन्म के साथ माँ
अलग से देने की
नही है आवश्कता
बस बनी रहे आपकी
आँचल की छाँव
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