“आँख खुली तो हमने देखा,पाकर भी खो जाना तेरा”
मन में बातें करते-करते,
तेरी यादों में सो जाना मेरा,
फिर ख्वाबों में आना तेरा,
आँख खुली तो हमने देखा,
पाकर भी खो जाना तेरा ।
नींद बगल में लेटी रहती है,
पर सिरहाने तेरी यादें बैठी रहती है,
अब कैसे ये रात गुजारी जाएगी
जब नींद गयी तो नींद कहां से आएगी
बंद आंखों का अक्सर खुलना,
मानों रूठ के जाना तेरा,
आँख खुली तो हमने देखा,
पाकर भी खो जाना तेरा ।
ख्वाबों में भी तेरे पहरे,
तुम आंखों में कुछ देर जो ठहरे,
बह जाओगे आंसू बनकर,
भूल गए क्या सीने में रखकर,
कुछ तो दर्द सा रहता होगा,
क्योंकि यही ठिकाना मेरा,
आँख खुली तो हमने देखा,
पाकर भी खो जाना तेरा ।
आंखों से आंसू का गिरना,
वो तेरा मेरा पहला मिलना,
फिर से रात जगेंगे सारी,
तकिए से बात करेंगे सारी,
तकिए को सब याद तो होगा,
सिरहाने तस्वीर छुपाना मेरा,
आँख खुली तो हमने देखा,
पाकर भी खो जाना तेरा ।
कुमार अखिलेश
देहरादून (उत्तराखंड)
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