आँखो स पचता नही
आँखों से पचता नहीं, ये कैसा दीदार !
अंधों के इस शहर में,चश्में का बाज़ार !!
सावन का अंधा कहे, हरा-हरा हर ओर !
देखे ऐसे चोर भी, …. हर मानव में चोर !
रमेश शर्मा
आँखों से पचता नहीं, ये कैसा दीदार !
अंधों के इस शहर में,चश्में का बाज़ार !!
सावन का अंधा कहे, हरा-हरा हर ओर !
देखे ऐसे चोर भी, …. हर मानव में चोर !
रमेश शर्मा