*आँखों से ना दूर होती*
आँखों से ना दूर होती
********************
आँखों से ना दूर होती,
हर पल संग वो हूर होती।
यादों के झरोखों मे भी,
साथ खड़ी वो नूर होती।
पल भर भी रह ना पाऊँ,
हाजिर दर जरूर होती।
खाती, पीती,सोती,रोती,
मीठी जैसे अँगूर होती।
ख्यालों में है छाई रहती,
खट्टी-मीठी खजूर होती।
मदहोशी में खोई- खोई,
थोड़ी सी मगरूर होती।
मनसीरत दिल की रानी,
हस्ती बड़ी मशहूर होती।
*******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)