आँखों में सुरमा, जब लगातीं हों तुम
आँखों में सुरमा, लगातीं हों जब तुम
बुलबुल के जैसे, शर्माती हों जब तुम
कोयला सा गीत, गाती हों जब तुम
अपनी इन खूबसूरत अदाओं से, ना जाने कैसे
मेरे दिल की पतंग को काट जाती हों जब तुम
गालों की लाली, मनमोहन तुम्हारी
वो प्यारी सी बाली, मनमोहन तुम्हारी
हस्ती हों खुलकर, जब छोटे बच्चे के जैसे
इस दिल को नागिन के तरह , डस जाती हों जब तुम
जुल्फों बिखेरे, चलती हों जब तुम
चोरी चोरी मुझको, क्यू तकती को जब तुम
वो प्यारा सा तिल है , बिल्कुल ही क़ातिल
मासूम लड़के का कत्ल, करके ही मानोगे अब तुम
✍️ The_dk_poetry