आँखों में मुहब्बत दिखाई देती है
दिन दिनांक : शुक्रवार, २१ जून-२०२४
विद्या : ग़ज़ल
बह्र : बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
अरकान :फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
मात्रा भार : 122 122 122 122
उन्वान : आँखों में मुहब्बत दिखाई देती है
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आँखों में मुहब्बत दिखाई देती है,
कानों में सदायें सुनाई देती है !
लबों से भले ना कहे कुछ वो यारो,
निगाहें तो उसकी जताई देती है !
छुपाने में माहिर है लगती बड़ी वो,
अदाओं से अपनी छुपाई देती है !
वैसे तो लगाती है बंदिश बहुत सी,
शरारत करे तो ढिलाई देती है !
मुहब्बत की शिद्द्त से यारों बड़े ही,
पूछे जो ‘धरम’ तो सफाई देती है !!
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स्वरचित : डी के निवातिया