आँखों में मायूसी का मंज़र क्यों है
आँखों में मायूसी का मंज़र क्यों है
अँधेरा ही अँधेरा मिरे अंदर क्यों है
जिस की छाँव में पलि मै बीस बरस
ख़ुदा ने छीना वो शजर क्यों है
ये नदी, ये चाँद, ये फूल, ये पंछी
हर शै मुझे दिखती बंजर क्यों है
दो जहाँ का निगहबान कहते हैं जिसे
मिरे हाल से वो बे-ख़बर क्यों है
‘धरा’ मुद्दत हुई उस हादसे को गुज़रे
ज़ेहन-ओ-दिल पे अब तक असर क्यों है
त्रिशिका श्रीवास्तव धरा
कानपुर (उत्तर प्रदेश)