आँखों में नींदें थी, ज़हन में ख़्वाब था, आँखों में नींदें थी, ज़हन में ख़्वाब था, चाहिए था अंधेरा, सामने मेहताब था ©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”