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17 Aug 2024 · 1 min read

आँखों में नींदें थी, ज़हन में ख़्वाब था,

आँखों में नींदें थी, ज़हन में ख़्वाब था,
चाहिए था अंधेरा, सामने मेहताब था

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

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