आँखों में आंसू और दिल में वो दर्द न थे
आँखों में आंसू और दिल में वो दर्द न थे
टूट गये रिश्ते फिर भी तुम आजिज़ न थे
वक़्त ने कसोटी पे तराशा हे एक सा हमे
पर मेरे इब्तिला से तुम तो ‘वाकिफ’ न थे
तुम तो बड़ी ‘खामोसी’ में निकल गये पर
मेरे ‘गिरियां’ किसी ने देखे और सुने न थे
बड़ी नुमाइस हो रही थी हमारे ‘प्यार’ की
सब तमाशाई ही खड़े थे गम़गुस्सार न थे
आवाजे गूंजती रही दिवालो के पीछे की
हमतो बे इख्त़ियारी थे शर्मसार तुम न थे
@अंकुर…..