आँखें ही करें बातें होठों पे तो ताले हैं
आँखें ही करें बातें होठों पे तो ताले हैं
देखे ये तुम्हारे ही अंदाज़ निराले हैं
अब तू ही बता तुझसे हम कैसे जुदा होंगे
जब हम औ हमारा दिल सब तेरे हवाले हैं
हम जागे या सो जायें तुम सामने रहते हो
सब सपने तुम्हारे ही जो आंखों में पाले हैं
कुछ दोस्त हमारे तब दे घाव बड़े देते
जब घोंपते पीछे से वो धोखे के भाले हैं
आंखों से हमारे अब बरसात बहुत होगी
घिर यादों के आये जो बादल बड़े काले हैं
बिखरा के खुली जुल्फें हम रहते हैं खोये से
कुछ शौक हमारे भी दीवानों वाले हैं
सुन ‘अर्चना’ मन सबके , भगवान सदा बसते
गर राह चलो उनकी , जीवन में उजाले हैं
14-12-2017
डॉ अर्चना गुप्ता