अ मेरे हमराही
तेरे आने से महक जाती है फिजाएं मेरी,
तभी रूबरू होकर तेरा दीदार करती हूँ।
लगे न बुरी नजर तुझे अ मेरे हमराही,
तभी इस जमाने के खंजरों से डरती हूँ।।
:- सूरज की तरह चमकते रहो सदा यू ही तुम,
ताकि रोशन रहे मेरी ये छोटी सी जिंदगी।
हमेशा साथ निभाना मेरा अ मेरे हमराही,
ताकि बनी रहे मेरी इंसानियत की बंदगी।।
कभी खुशबू बनकर कभी बहार बनकर,
गली के किसी मोड़ से यू ही चले आना।
कर लेंगे गुफ्तगू हम तुमसे अ मेरे हमराही,
खुशियो की तुम भरपूर सौगात दे जाना।।
:- ख्वाब भी तुम ही हो ख्याल भी तुम ही हो,
तुम ही मेरे मय हो और तुम ही मेरा पैमाना।
जहाँ कहीं भी तुम खड़े हो अ मेरे हमराही,
वही पर जमा है इस “मलिक” का मैखाना।।