अज़ल की हर एक सांस जैसे गंगा का पानी है./लवकुश यादव “अज़ल”
तुम्हारे प्रेम में पागल अकेले जी नहीं सकता,
पलक पर नींद है कैसी कि मैं सो नही सकता।
धरा से आसमाँ तक सबको पता है बात ये,
फ़ख्त दो लफ़्ज प्यार के दिल से मैं कह नहीं सकता।।
किसी के प्रेम कांटा अब मैं बन नहीं सकता,
करूँ आज़ाद पंछी मगर ये दिल नहीं कहता।
धरा से आसमाँ तक सबको पता है बात ये,
प्रेम की धारा में अज़ल अब बह नहीं सकता।।
मैं हर अल्फाज हक़ीक़त की जुबां से कह नहीं सकता,
हक़ीक़त है यही कि बिन तुम्हारे रह नही सकता।
यही अब तक कि मेरे दिल की कहानी है,
अज़ल की हर एक सांस जैसे गंगा का पानी है।।
हमारे दिल में जो बाकी ओ कहानी हो नहीं सकती,
तुम्हारी आखिरी मुस्कान मेरे प्यार की निशानी है।
जरा ठहरो नहीं प्रिय तुम ये दरिया का पानी है,
अज़ल की हर एक सांस जैसे गंगा का पानी है।।
लवकुश यादव “अज़ल”
अमेठी, उत्तर प्रदेश