अही आबि मा हमर(कविता)
अश्रुधार लोचन देखू,भरीमन् मम आयु हे मा
कोन विधि सँ निभृत आबि हम दरिख देखाबी
हिय मोरा वेदनसँ भरल कोना हम मुस्काबी
काल्हि मगलौं अन धन विद्या अद्य कि मागि
छिन भिन्न भऽ गेल अप्पन सबटा कोना आबि
अश्रुधार लोचन देखू ,भरीमन् मम आयु हे मा
अही आबि मा हमर,कनी हिय सँ हिय मिलाबी
टूटि घसल जिनगीक असरा,किनको नै पाबि
ङूबि रहल छी बीच बिड़ोह मे,किनका बताबी
अद्य नै खैबनहार मातु हमर,किनका बूलाबी
कोनो विधि सँ पार लगाबू अहि पार आबि
अप्पन होय अप्पन सब,दर आबि गोहराबि
अश्रुधार लोचन देखू भरीमन् मम आयु हे मा
अही आबि मा हमर,कनी हिय सँ हिय मिलाबी
मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य