Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Oct 2022 · 1 min read

अहिल्या बन पत्थर बोल पड़ी।

मेरा उद्धार करते हुए राम ।
अपना सुख त्यागते हुए मेरे ईश्वर राम।

Language: Hindi
131 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*राष्ट्रभाषा हिंदी और देशज शब्द*
*राष्ट्रभाषा हिंदी और देशज शब्द*
Subhash Singhai
आदिवासी
आदिवासी
Shekhar Chandra Mitra
जियो जी भर
जियो जी भर
Ashwani Kumar Jaiswal
कौआ और बन्दर
कौआ और बन्दर
SHAMA PARVEEN
*मैं भी कवि*
*मैं भी कवि*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
जय श्रीराम
जय श्रीराम
Indu Singh
स्वागत है इस नूतन का यह वर्ष सदा सुखदायक हो।
स्वागत है इस नूतन का यह वर्ष सदा सुखदायक हो।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
अंतरात्मा की आवाज
अंतरात्मा की आवाज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मन्नत के धागे
मन्नत के धागे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
लोग खुश होते हैं तब
लोग खुश होते हैं तब
gurudeenverma198
हुस्न और खूबसूरती से भरे हुए बाजार मिलेंगे
हुस्न और खूबसूरती से भरे हुए बाजार मिलेंगे
शेखर सिंह
आज बहुत दिनों के बाद आपके साथ
आज बहुत दिनों के बाद आपके साथ
डा गजैसिह कर्दम
माँ शारदे
माँ शारदे
Bodhisatva kastooriya
नारी
नारी
Nitesh Shah
आपकी मुस्कुराहट बताती है फितरत आपकी।
आपकी मुस्कुराहट बताती है फितरत आपकी।
Rj Anand Prajapati
3230.*पूर्णिका*
3230.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आसान नहीं
आसान नहीं
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
NSUI कोंडागांव जिला अध्यक्ष शुभम दुष्यंत राणा shubham dushyant rana
NSUI कोंडागांव जिला अध्यक्ष शुभम दुष्यंत राणा shubham dushyant rana
Bramhastra sahityapedia
जिम्मेदारियाॅं
जिम्मेदारियाॅं
Paras Nath Jha
■ निर्णय आपका...
■ निर्णय आपका...
*Author प्रणय प्रभात*
मै भी सुना सकता हूँ
मै भी सुना सकता हूँ
Anil chobisa
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
इंसान की चाहत है, उसे उड़ने के लिए पर मिले
इंसान की चाहत है, उसे उड़ने के लिए पर मिले
Satyaveer vaishnav
*उगा है फूल डाली पर, तो मुरझाकर झरेगा भी (मुक्तक)*
*उगा है फूल डाली पर, तो मुरझाकर झरेगा भी (मुक्तक)*
Ravi Prakash
अब क्या बताएँ छूटे हैं कितने कहाँ पर हम ग़ायब हुए हैं खुद ही
अब क्या बताएँ छूटे हैं कितने कहाँ पर हम ग़ायब हुए हैं खुद ही
Neelam Sharma
अपने होने की
अपने होने की
Dr fauzia Naseem shad
*** चोर ***
*** चोर ***
Chunnu Lal Gupta
जीवन देने के दांत / MUSAFIR BAITHA
जीवन देने के दांत / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
क्या होगा लिखने
क्या होगा लिखने
Suryakant Dwivedi
Loading...