अहसास
प्रेम अहसास है अहसान नही
प्यार शब्द नही
अहसास है, विश्वास है
अहसास ये कि तुम मेरी हो
विश्वास ये कि तुम सिर्फ मेरी हो
राधा कृष्ण प्रेम के पर्याय हैं
आदर्श हैं
पर कलयुग में
कृष्ण राधा सम प्रेम सम्भव कहां
राधा के कृष्ण रास रचाते,
माखन चुराते
बंशी बजाते, धेनु चराते
तुम्हारा कृष्ण
उलझा है दुनियादारी में
आधार, जाति, बैंक एकाउंट
खुलवाने में,
हर सरकारी फरमान के
हर कीमत पर पालन में
पर उसका प्यार भी
पवित्र है उतना ही