*** अहसास…!!! ***
“” अहसास हूँ मैं…
दिखता नहीं, पर आस-पास हूँ…!
मन में विचरण कर…
वजूद पर छा जाता हूँ…!!
मेरे पीछे कुछ कदम चल…
मुझे या मेरे चाल को, कभी पकड़ कर देख…!
मुझे अपने अरमानों में…
जरा जकड़ कर देख…!
ग़म के छाये से…
बहुत दूर निकल जायेगा…!
मन में बिखरी आशाओं को…
अपने दिल की आवाज कह जायेगा…!
मुझसे कोई गुमान नहीं…
मेरी कोई पहिचान भी नहीं…!
मैं कोई धातु या चीज नहीं…
मुझे समझना इतना आसान नहीं…!
क्योंकि…
हूँ मैं एक अहसास…
पकड़ी नहीं जाती हूँ…
केवल अनुमान की प्रतिबिम्ब बन जाती हूँ…!
पर हूँ मैं तुम्हारे आस-पास….!! “”
****************∆∆∆***************