अहसास
प्रेम सदा ईक गहरा सागर
जितना डूबे आभास बढाए
मुख ना कुछ बोल निकाले
अहसासों की बाढ लगाए
बाहर की सब सुधबुध खो के
भीतर ईक तुफान मचाए
कुछ ना देखे कुछ ना सूझे
मन ही मन बतियाता जाए
डूबकी लगी ज्यों गंगा जल में
सबकुछ पावन होता जाए
पत्थर दिल भी हो जाए निर्मल
शिकवे संग दूरी बनाती जाए
भली लगे सब दुनिया मानुष
दानव भी कुछ डरा ना पाए
रात अमावस भी लागे पूनम
दिल में ऐसी जोत जगाए
सब बेमानी लगे है कारज
एक की याद में सब दिन कट जाए
जीवन जिसको किया समर्पित
वो ही नैय्या पार लगाए