“” *अहसास तेरा* “”
“” अहसास तेरा “”
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(1)” अ “, अक़्स तेरा
है मुझमें समाया कबसे !
और अहसास बना रहा तेरा….,
तन-मन जीवन विचारों में मेरे !!
(2)” ह “, हमेशा से
तू बनी रही मेरी प्रतिछाया !
और तेरे होने का अहसास ….,
यहाँ हरेक पल क्षण है पाया !!
(3)” सा “, सामने हो
या ना हो रहे तू मेरे करीब !
और तेरे पास होने की गवाही..,
चलें देते मेरे काम, जिसमें रहती तू शरीक!!
(4)” स “, सफ़र ये
चले बनें ख़ुशनुमा हसीन !
और चले जब तू संग-साथ मेरे…..,
तो, खिलता रहे सदा ही मेरा नसीब !!
(5)” तेरा “, तेरा अहसास
दिए चले है मुझे संबल !
और तेरी मधुर स्मृतियों में खोया…,
चलूँ जीवन को रचाए हर्षाए प्रतिपल !!
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सुनीलानंद
बुधवार,
जयपुर
राजस्थान |