अहर्निशं छंद
अहर्निशं छंद
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हनुमत हें प्यारे, मातु दुलारे,घर आओ।
विधि पूजन अर्पण, करूं समर्पण,
चित लाओ ।।
हे! दीन दयाला,नाथ कृपाला,
सुखकारी।
सब भक्ति पुकारें, प्रभु जी तारें,
दुखहारी।।
नवनीत राधिके,मधुर वादिके,वंशीधर।
हे!नाग नथैया,दोऊ भैया,पीड़ाहर।।
माखन दधि खाएं,चोरी करके,
लीलाधर।
गोवर्घन धारी,जन हितकारी,
हे!मनहर ।।
सुषमा सिंह *उर्मि,,