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23 Dec 2021 · 1 min read

अहंकार ____ कैसा दीवाना है

साला यह अहंकार _ कैसा दीवाना है।
मैं कोशिश करता बार _ बार,
अंतकरण से निकलता ही नहीं।।
गरीबी _ लाचारी आती सामने कई बार।
देखता है उन्हे पर पिघलता ही नहीं।।
आखिर यह क्यों मुझ पर हावी हो गया।
समाधान इसका मिलता ही नहीं।।
पाना चाहता हूं छुटकारा इससे हमेशा के लिए,
ढूंढ रहा हूं राह__ पथ दिखता ही नही।।
चोला यह ओढ़कर घूम रहा हूं यहां _ वहां।
कहां_ कैसे बदलूं इसे_
सिलसिला भीड़ का मिटता ही नहीं।।
राजेश व्यास अनुनय

Language: Hindi
4 Likes · 6 Comments · 209 Views
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