“अहंकार “
अहंकार जिसे छूता है विनाश के बादल छा जाते हैं ,घमंडिओं के सदा ही सर यहाँ पर रोज कुचले जाते हैं ! सत्ता में रहकर यूँ हमको इतराना नहीं अच्छा !!कहो दिन एक सा किसका रहा इस विश्व में सबका ?@डॉ लक्ष्मण झा “परिमल “
अहंकार जिसे छूता है विनाश के बादल छा जाते हैं ,घमंडिओं के सदा ही सर यहाँ पर रोज कुचले जाते हैं ! सत्ता में रहकर यूँ हमको इतराना नहीं अच्छा !!कहो दिन एक सा किसका रहा इस विश्व में सबका ?@डॉ लक्ष्मण झा “परिमल “