अहंकारी देश
होकर ताकत के अभिमान में चूर ,
कमज़ोरों पर सितम ढाते हैं।
ऐसे देश और इंसान जरूर मिट्टी ,
में मिला दिए जाते हैं।
अभिमान तो रावण का भी न रहा ,
अरे रूस ! तेरा कहां रह सकेगा ।
मार रहा है खुद अपने पांव में कुल्हाड़ी ,
इसका दोष किस पर मढ सकेगा ?
अपना विस्तार बढ़ाने या ,
हक जतलाने का यह कैसा तरीका !
सारे संसार की नजरों से गिराएगा,
तुम्हारा घिनौना यह सलीका ।
यूक्रेन ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ,
चैन से उसे जीने दो ।
अपने अभिमान के नशे में जो ,
कर रहे हो नर संहार उसे बंद कर दो।
बना रखा है अपना दबदबा ,
अपने चमचों के बीच तुमने ।
ऐसी तो तुममें कोई बड़ी बात नहीं ,
क्या हासिल कर लिया तुमने ।
अपनी एक सनकी ज़िद के पीछे ,
विश्व युद्ध का भयंकर हालात मत बनाओ।
जो खाई खोद रहे हो किसी के लिए ,
खुद तुम भी उसमें गिरोगे , बाज़ आओ।
विश्व की मानव जाति के खातिर ,
इस युद्ध को अतिशीघ्र विराम दो ।
हो अगर वास्तव में इंसान तुम ,
तो अपने क्रोध , बैर या लालच ,
जो भी हो उसे लगाम दो ।
सोच लो ! मिटा डालोगे यदि ,
भगवान की सुन्दर प्रकृति ।
तो अपनी संतति के लिए क्या छोड़ोगे ?
ना माने गर तो अपना और
आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बर्बाद करोगे।