असोक विजयदसमी
आज दिनांक अक्टूबर 24, 2023
को मैंने विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण किया,
उत्सव का नाम :- दशहरा
क्यों मनाया जाता है ।
आजकल जिस तरह से लोग,
अकेले रावण के पुतले का दहन कर रहे हैं.
कुंभकर्ण और मेघनाद (मायावी चरित्र)
के पुतलों का दहन छूट गया ।
.
जैसा साहित्यिक महाकाव्य रामायण में
पंडित, विद्वान, शूरवीर दर्शाया गया है,
उसे जलाओगे कैसे ?
दशानन लंकेश रावण ?
विभीषण जैसे भाई ?
की मुखबिरी से संभव हुआ,
मैंने आज तक किसी बच्चे का नाम,
विभीषण नहीं सुना,
गद्दार के नाम पर कोई नाम रखेगा क्या !
.
समय बदल रहा है,
रावण के साथ,
आज लोगों को सेल्फी लेते हुए देखा है,
अपने बच्चों को रावण के पुतले के साथ
खडे करके,, तस्वीरे सहेजते,, नजर आये.
रावण की प्रशंसा में आरती का गायन ।
फिर “रावण के पुतले” का दहन ।
हाथ कंप जाने चाहिए ।
कैसे जला देते है ।।
पुतला ही सही ।
जब भी किसी को “पुरूषोत्तम” बनाया जायेगा,
विद्वता की मौत होगी ही,,
.
“असोक विजयादसमी” के बारे में
भारतीय सभ्यता और संस्कृति में स्थान की बातें करते हो,, इतिहास ही पथ-भ्रष्ट करने वाला है,
हां
विष्णु अवतार में
एक अवतार “तथागत बुद्ध” भी है ।
इससे क्षति पूर्ति करने की कोशिश ।
वह भी नाकाम ।
.
ऐसा हो गया,
जैसे गौतम सिद्धार्थ तथागत बुद्ध का इस देश में कुछ है ही नहीं,,
.
ये रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद के झूठे पुतले कब तक जलाओगे,,
अंततोगत्वा :-
Bodhisatv कल्पवृक्ष
प्रकृति
प्रवृत्ति
निसर्ग
जड चेतन के खेल खिलाड़ी के रैफरी / अम्पायर
निर्णायक बनना ही होगा.