असमानताएं!!
इधर झोंपड़ी,
उधर मकान,
एक में है इंसानी जिस्म,
एक में तथा कथित इंसान!
यह कष्ट में दुःखी हैं, पर,
पर दूसरों के दुख -कष्ट सह सकते नहीं,
ये सुखी हैं, खुशहाल हैं, पर,
पर किसी गरीब के दुःख में शामिल नहीं!
यह निर्धन हैं,
पर जो है उसे देने से इंकार नहीं,
यह धनी हैं, संपन्न हैं,
पर किसी को देने को तत्पर नहीं!
यह कितने महान,
ये कितने निरीह,
कैसी-कैसी है यह दूनियां,
कैसे कैसे हैं यह जीव!!